Circular Motion in hindi pdf |Physics notes

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Circular Motion in hindi pdf |एक समान वृत्तीय गति क्या है

एक समान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion)

जब कोई पिण्ड किसी वृत्ताकार पथ (circular path) पर नियत चाल (constant speed) से चलता है, तो उसकी गति को एक समान वृत्तीय गति कहते हैं।’ इस गति में पिण्ड की चाल का परिमाण (magnitude) सदैव नियत रहता है परन्तु उसकी चाद की दिशा लगातार बदलती रहती है।

किसी भी समय पिण्ड की चाल की दिशा, वृत्त की परिधि पर खींची गई स्पर्श रेखा की दिशा में होती है।

ज्ञातव्य है कि एक समान वृत्तीय गति एक ऐसे त्वरण के अर्न्तगत होती है जिसका परिमाण सदैव नियत रहता है, परन्तु उसकी चाल की दिशा लगातार बदलती रहती है। चित्र 3.1 में ‘m’ द्रव्यमान का पिण्ड ‘P’, ‘O’ केन्द्र के वृत्ताकार मार्ग पर रेखीय वेग ” से गति कर रहा है यह ” समय में A से B तक गति करता है। माना रेखीय विस्थापन, AB = S तथा कोणीय विस्थापन ∠AOB = θ

Circular Motion in hindi pdf

चित्र 3.1 में बिन्दु ‘O’ के चारों ओर वृत्ताकार पथ पर घूम रहे कण ‘P’ की गति कोणीय गति है।

कुछ परिभाषायें (Some Definition)

(a) कोणीय गति (Angular motion) — जब कोई कण किसी बिन्दु (point) या अक्ष (axis) के चारों ओर वृत्ताकार (circular) मार्ग पर घूमता हैं, तो इस गति को कोणीय गति (angular motion) कहते हैं।

(b) कोणीय विस्थापन (Angular displacement) — जिस प्रकार रेखीय गति (linear motion) में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी या विस्थापन को S से नापते हैं उसी प्रकार कोणीय गति में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी या विस्थापन को वस्तु द्वारा तय किये हुए कोण θ (थीटा-theta) से नापते हैं और इसे कोणीय विस्थापन कहते हैं (क्योंकि कोणीय गति में, कण के द्वारा एक पूरा चक्कर लगाने पर, रेखीय विस्थापन शून्य हो जाता है और यह स्थिति बार-बार आती है)। भौतिकी में कोण को प्रायः रेडियन (चाप/त्रिज्या) में नापते हैं।

माना जब कण t समय में A से B तक चलता है, तो वह वृत्ताकार मार्ग के केन्द्र ‘O’ पर कोण अन्तरित करता है (चित्र 3.1) है। अतः

रेडियन में कोण का मान,

   θ = चाप AB की लम्बाई S/त्रिज्या r

   θ   =  S/r

यदि कोण θ बहुत छोटा है तो,

       ∆θ=∆S/r

(c) कोणीय वेग (Angular velocity) ω —जिस प्रकार रेखीय गति में, रेखीय विस्थापन की दर को रेखीय वेग (linear velocity) कहते हैं, उसी प्रकार कोणीय गति में, कोणीय विस्थापन की दर को कोणीय वेग कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षरω (ओमेगा omega) से प्रकट करते हैं।

औसत कोणीय वेग =∆θ(कोणीय विस्थापन)/∆t(समय अन्तराल)

इसका मात्रक डिग्री/सेकेण्ड, चक्कर/सेकेण्ड या रेडियन/सेकेण्ड है। इसका S.I. मात्रक रेडियन/सेकेण्ड (rads) तथा विमा [M°L°T-1] है। यह एक सदिश (vector) राशि है, जिसकी दिशा घूर्णन अक्ष (axis of rotation) के समान्तर होती है तथा ‘दाहिने हाथ के अंगूठे के नियम’ (R.H. Thumb Rule) द्वारा ज्ञात की जाती है।

परिभाषा से स्पष्ट है कि कण द्वारा 1 सेकण्ड में तय किये गये कोण (θ) को कोणीय वेग कहते हैं। अतः तात्कालिक

कोणीय वेग,

ω =dθ/dt

(i) आवर्तकाल (Time period) —यदि वृत्तीय गति करते हुए पिंड को एक पूरा चक्कर लगाने में लगा समय T हो, तो कण का औसत कोणीय वेग,

                 ω=2π/T

                T=2π/ω

T को आवर्तकाल कहते हैं और इसे निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं।

वृत्तीय गति करते हुए पिण्ड को एक पूरा चक्कर लगाने में लगे समय (Time) को पिंड का आवर्तकाल (Time period) कहते हैं।

(ii) आवृति (Frequency) —’वृत्तीय गति करते हुए पिण्ड द्वारा एक सेकेण्ड में लगाये गये चक्करों की संख्या (Number of revolution per second) को आवृति (Frequency) कहते हैं तथा इसे ‘n’ (small एन) से प्रदर्शित करते हैं व्यवहार में इसका मात्रक ‘चक्कर प्रति सेकेण्ड’ है।

S.I. मात्रक-s-l, hertz या Hz

विमा=[M°L°T-1θ° ]

(iii) आवृति तथा आवर्त काल में सम्बन्ध (Relation between ‘n’ and T) —आवृति तथा आवर्तकाल में निम्न सम्बन्ध होता है।

n=1/T

T=2π/ ω

पिण्ड का औसत कोणीय वेग, = 2 π /T

या पिण्ड का औसत कोणीय वेग, ω = 2πn (: T = 1/n)

उदाहरण—यदि कोई वस्तु एक सेकेंड में 5 चक्कर लगाती है तो औसत कोणीय वेग, ω = 5 x 2 π = 10 π रेडियन/से०

(d) कोणीय तथा रेखीय वेग में सम्बन्ध (Relation between angular and linear velocity) —माना कोई पिण्ड, ∆T समयान्तराल में वृत्त की परिधि पर गति करता हुआ बिन्दु A से B तक (चित्र 3.1), ∆s दूरी तय करता है।

अतः. कोणीय विस्थापन, ∆ θ =∆s/r. [रेडियन में, कोण = चाप / त्रिज्या ]

          ∆/∆t=∆s/r∆t.         [दोनों ओर ∆t से भाग देने पर]

समयान्तराल ∆t के अत्यन्त सूक्ष्म होने पर (∆t → 0)

ω=v/r

                      v = rω

स्पष्ट है कि पिण्ड का रेखीय वेग (v) पिण्ड की केन्द्र से दूरी (r) के अनुक्रमानुपाती (directly proportional) होता है। अतः पिण्ड केन्द्र से जितनी अधिक दूरी पर होगा, उसका रेखीय वेग उतना ही अधिक होगा। इसीलिये केन्द्र पर स्थिति पिण्ड का रेखीय वेग शून्य होता है।

(e) कोणीय त्वरण (Angular acceleration) —कोणीय गति में, कोणीय वेग परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं। इसे ग्रीक अक्षर α (अल्फा-alpha) से प्रदर्शित करते हैं। यह एक सदिश राशि है, इसकी दिशा कोणीय वेग के अनुदिश होती हैं। यदि एक पिण्ड का (जो घूर्णन अक्ष से r दूरी पर हैं) t1 समय पर कोणीय वेग ω₀ तथा t₂ समय पर कोणीय वेग ω हो,

पिण्ड का कोणीय त्वरण, α=ω- ω₀/t₂ -t₁

तात्कालिक कोणीय त्वरण,

                                 =∆ω/∆t

,

S.I. मात्रक- रेडियन/से०- या rad/s2 या rads-2

विमा- [Mo LoT-2]

(f) रेखीय तथा कोणीय त्वरण में सम्बन्ध (Relation between linear and angular acceleration) हम जानते हैं कि,

कोणीय त्वरण, α = d ω / dt = d(v/r) / dt

α = dv/rdt = a/r

पिण्ड का रेखीय त्वरण = पिण्ड की घूर्णन अक्ष से दूरी x कोणीय- त्वरण

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